जिस तरह से महिलाएं उम्र बढ़ने पर रजोनिवृति से प्रभावित होती है उसी तरह से पुरूष बिनाइन प्रोस्टेटिक हाइपरप्लाशिया (बीपीएच) से प्रभावित होते हैं। इस समस्या में प्रोस्टेट असामान्य रूप से बढ़ता है.
‘बीपीएच उम्र बढ़ने के साथ बढ़ने वाली बहुत ही आम समस्या है। यह देखा गया है कि 60 वर्ष तक की आयु वाले,50 प्रतिशत से अधिक पुरुषों में बीपीएच हो जाता है और 85 वर्ष की उम्र होने तक 90 प्रतिशत पुरूषों में यह समस्या होती है।” प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से मूत्र त्याग में दिक्कत होती है, अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाना पड़ता है और/अथवा जब व्यक्ति मूत्र त्याग करता है तो उसे सनसनाहट होती है लेकिन जब व्यक्ति मूत्र त्याग करने की कोशिशकरता है तो वह संतोषजनक तरीके से पेशाब नहीं कर पाता।
वरिष्ठ यूरोलाॅजिस्ट, नई दिल्ली कहते हैं, ”पूरी तरह से मूत्राशय खाली कर पाने में असमर्थता और इससे जुड़ी हुई मूत्र संबंधी अन्य समस्याओं के कारण पुरूष परेशान हो जाते हैं और इसका असर उनके सामान्य स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है।” विशेषज्ञों का कहना है कि पोस्टेट के बढ़ने की समस्या धीरे-धीरे हृदय रोग एवं मधुमेह की तरह समान्य समस्या का रूप धारण कर रही है। यह देखा गया है कि 60 प्रतिशत से अधिक पुरूष बढ़े हुए प्रोस्टेट के कारण रात में दोबार से अधिक बार मूत्र त्याग के लिए जाते हैं। अगर बीपीएच के कारण मूत्राशय में रूकावट हो तथा इसका इलाज नहीं हो तो बार—बार मूत्र मार्ग संबंधी संक्रमण, मूत्राशय में पथरी और क्रोनिक किडनी रोग हो सकते हैं।”ज्यादातर पुरूष बढ़े हुए प्रोस्टेट का महीनों तक और यहां तक कि वर्षों तक कोई इलाज नहीं कराते।
डिजिटल रेक्टल टेस्ट (डीआरई) और प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजन टेस्ट (पीएसए टेस्ट) ऐसे दो परीक्षण हैं जो यह पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण हैं कि क्या उस व्यक्ति को प्रोस्टेट रोग का अधिक खतरा है या नहीं। जिस व्यक्तिको बीपीएच होता है उसमें पीएसए स्तर बढ़ा हुआ होता है। विशेषज्ञ मानते हैं की भारत के लोगों को अपनी स्वास्थ्य की स्थिति को लेकर काफी अनजान रहते हैं। वे छोटे मोटे परिवर्तनों एवं लक्षणों को नजरअंदाज करते हैं। 40 साल से अधिक उम्र को लोगों को हर साल में एक बार प्रोस्टेट हेल्थचेकअप कराना चाहिए। अधिक शराब पीने एवं कैफीनयुक्त पेय पीने से मूत्राशय में परेशानी आ सकती है और बीमारी बढ़ सकती है। वजन कम करने और और वजन को नहीं बढ़ने देने से, रेड मीट कम खाने से तथा फल—सब्जियों का सेवन अधिक करने से बीपीएच को रोकने में मदद मिलती है। शरीर के वजन को स्वास्थ्य के मानकों के अनुरूप बनाए रखनेतथा हार्मोन स्तर पर नियंत्रण रखने में शारीरिक श्रम का बहुत महत्व है।
By Dr. RL Nayak
SR. CONSULTANT UROLOGY
RENAL TRANSPLANT SURGEON